मिर्च
(Chilli)
भारत की प्रमुख मसाला फसल है| इसके स्वाद में
तीखापन होता है| मिर्च (Chilli) का
उपयोग एक मसाले तौर पर किया जाता है| मिर्च प्राप्त करने के
लिए इसकी खेती की जाती है| मिर्च का जन्म स्थान दक्षिणी
अमेरिका है| यह भारत की भी प्रमुख फसल है| भारत में लगभग 7,92000 हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है, जिससे 12, 23000 टन मिर्च (Chilli) का उत्पादन होता है|
मिर्च
की खेती भारत में खरीफ और जायद दोनों मौसम में की जा सकती है| किसान भाई मिर्च की आधुनिक तकनीकी से खेती कर के अच्छा लाभ कमा सकते है|
मिर्च (Chilli) की उन्नत खेती कैसे करे,
यह समजाने के लिए यहाँ विस्तार से इस विधि का वर्णन किया गया है|
जिसको पढकर कोई भी मिर्च की अच्छी पैदवार प्राप्त कर सकता है|
जलवायु
–
मिर्च
को किसी भी मौसम में उगा सकते है। लेकिन ज्यादातर मिर्च की खेती सर्दी के मौसम में
करने से अधिक लाभ होता है। इसे उगाने के लिए कम तापमान की आवश्कता होती है। अतः
मिर्च को शाम में लगभग 4 बजे के बाद रोपना चाहिए जब धुप कम हो जाये। धुप में मिर्च
के पौधे को रोपने से पौधा मुड़झा जाता है।
भूमि व
भूमि की तयारी –
मिर्च
की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है. परंतु अच्छे जल निकास वाली एवं
कार्बनिक बलुई दोमट, लाल दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान
6.0 से 6.7 हो मिर्च की खेती के लिये सबसे उपयुक्त है. वो मिट्टी जिसमें जल निकास
व्यवस्था नहीं होती, मिर्च के लिये उपयुक्त नहीं है| खेती
शुरू करने से पहले भूमि की inspection कर लेना अती आवश्यक
है। मिर्च की खेती दोमट मिट्टी वाली भूमि पर करने से किसानो को खेती में सफलता
मिलती है। ट्रेक्टर द्वारा भूमि की जुताई कर के उसे भुरभुरा कर लेना चाहिए। ऐसा
करने से सरे खरपतवार साफ़ हो जाते है और फसल भी ज्यादा होती है। जब खेती के लिए
भूमि की तैयारी कर रहें हो तभी सरे आवश्यक खाद का छिड़काव कर देना चाहिए।
मिर्च
की किस्में –
हरी मिर्च की समान्य उन्नत किस्में -
1. काशी अनमोल - इसकी पैदावार 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है|
2. काशी विश्वनाथ - इसकी पैदावार 220 क्विंटल प्रति
हेक्टेयर तक है|
3. जवाहर मिर्च 283 व 218 - इसकी
पैदावार 70 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है|
4. अर्का सुफल - इसकी पैदावार 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है|
5. मिर्च की अन्य समान्य उन्नत किस्में पूसा सदाबहार, केटीपीएल- 19, पूसा ज्वाला, भाग्यलक्ष्मी,
जे- 218, एआरसीएच- 236, गायत्री,
प्रिया, बीएसएस- 14, दुर्गा,
पन्त- 1, आजाद मिर्च- 1, कल्यानपुर चमन, एस- 16 और एस- 86235 इत्यादि|
मिर्च (Chilli) की संकर किस्में
1. काशी अर्ली- इसकी पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
है|
2. काशी हरिता- इसकी पैदावार 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है|
3. अन्य संकर किस्में एचपीएच- 1900
व 2680, उजाला, यूएस- 611 व 720, तेजस्वनी,
अग्नि, चैम्पियन, सूर्या
और ज्योति इत्यादि है|
नोट- उपरोक्त मात्रा हरी मिर्चों की दर्शाई गई है| किसान भाई को बीज हमेशा भरोसे की जगह से ही खरीदना चाहिए|
मिर्च की बीज बुवाई –
1. मिर्च (Chilli) के लिए बीज की मात्रा
सामान्य के लिए 700 से 800 ग्राम और संकर किस्म के लिए 250 से 300 ग्राम प्रति
हेक्टेयर बीज उपयुक्त होता है| बीज को बुवाई से पहले 3 ग्राम
बाविस्टिन या कैप्टान प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित करना चाहिए|
2. मिर्च के लिए पौधशाला का चुनाव ऐसी जगह करे जहां
धुप पर्याप्त मात्रा में आती हो, 1 मीटर चौड़ी और आवश्यकतानुसार
लम्बाई की जमीन से 20 सेंटीमीटर क्यारी बना ले, और उसमे गोबर
या कम्पोस्ट खाद आवश्यकतानुसार डाले, अब कार्बेन्डाजिम 2
ग्राम दवा प्रति लीटर पानी से क्यारी की मिट्टी को उपचारित करना चाहिए|
पौधे का रोपन –
मिर्च
के पौधे को गढ्ढे में इस प्रकार रोपें जिससे पौधे का आखरी पत्ता ज़मीन में सटे।
मिर्च के पौधे रोपने समय दो पौधे की बिच की दूरी कम से कम 40 से 60 cm
होनी चाहिए। पौधा रोपने के 15 से 20 मिनट बाद लोटे से पौधे में पानी
पटाए। उसके बाद लगातार 3 से 4 दिन तक
दोनों time सुबह और शाम को पानी पटाए ।
खाद व उर्वरक –
खेत
की अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर करीब 150 से 250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई
गोबर की खाद खेत में डाल कर अच्छी तरह मिला दें. इस के अलावा मिर्च का अच्छा
उत्पादन लेने के लिए 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 48 किलोग्राम फास्फोरस व 50
किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई
से पहले जमीन की तैयारी के समय व बची मात्रा आधीआधी कर के 30 व 45 दिनों बाद खेत में
छिड़क कर तुरंत सिंचाई कर दें|
पौधे की सिचाई –
मिर्च
की सफल खेती के लिए और अच्छे फसल के उत्पादन के लिए किसानो को सिचाई को ले कर
सतर्क रहना चाहिए। मिर्च की खेती में पानी के बहाव का आने और जाने की क्रिया बराबर
बनी रहनी चाहिए। मिर्च के फुल और फल लगने के समय भूमि में नमी का होना अत्यंत
जरुरी है क्योंकि पानी के कमी से पौधे का विकाश रुक सकता है।इसकी वजह से फल की
गिरने की संभावना बढ़ जाती है ।
खरपतवार नियंत्रण –
रोपाई
करने के बाद एक हप्ते बाद सिचाई करते है, ओट आने के बाद निराई गुड़ाई कर
देनी चाहिए, जिससे की खरपतवार हमारी फसल में न रहे और
आवश्यकता पड़ने पर 15 से 20 दिन पर निराई गुड़ाई करके खेत को खरपतवार से साफ रखना
चाहिए|
रोग नियंत्रण -
मिर्च
(Chilli)
की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग आर्द्रगलन, फफूंद,
जीवाणु जम्बलानी और पर्ण कुंचन आदि है| इन
रोगों की रोकथाम के लिए बुवाई के समय बीजो को अच्छे से उपचारित करना चाहिए|
रोगी पौधों को खेत से उखाड़ कर मिट्टी में दबा देना चाहिए| इसके साथ साथ मेन्कोजेब 0.2 प्रतिशत का 2 बार छिड़काव करना चाहिए|
कीट नियंत्रण –
मिर्च
की फसल में लगने वाले किट थ्रिप्स, सफेद मक्खी और माईट प्रमुख है|
इनकी रोकथाम के लिए डाइथेन एम 45 या मेटासिस्टोक 1 लिटर को 700 से
800 लिटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर 10 से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव
करते रहना चाहिए|
फल तुड़ाई –
इसकी
फसल हम दो तरह से पैदा करते है ,एक तो हरी फसल हरी फलियाँ बेचने
के लिए दूसरा मसाले के लिए फलियाँ तैयार करते है हरी फसल जब लेना है ३ से४ बार
तोड़ाई करना आति आवश्यक है मसाले के लिए जब हम पैदा करते है तो १ से२ बार तोड़ाई
करते है I
हरी मिर्च की पैदावार –
फसल
के अनुकूल मौसम और उपरोक्त विधि से खेती करने के पश्चात हरे फल की पैदवार सामान्य
किस्मों की पैदावार 125 से 200 क्विंटल और संकर किस्मों की पैदावार 200 से 300
क्विंटल प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए |
दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई मिर्च की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे
कमायें, हमे आशा है आपको मिर्च की खेती की जानकारी समझ में आ
गई होगी | फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव है, तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हमसे पूछ
सकते है, दोस्तों इस
ब्लॉग पर आए भी खेती बड़ी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी, जानकारी
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