फुल गोभी की खेती कैसे करें -
फुल गोभी की खेती से कमाइए लाखों रुपए –
सम्पूर्ण वर्ष भर में की जाने वाली फूल गोभी की खेती किसानो के लिए अच्छे संकेत दे फूलगोभी जो की भारतीय भोजन की एक बहुत लोकपिय
सब्जी है।
फुल गोभी की जलवायु -
फूलगोभी के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु की
आवश्यकता होती है यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हों तो फुल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है
फुल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फुल पत्तेदार और पीले रंग के हो जाते
है अगेती जातियों के लिए अधिक तापमान और बड़े दिनों की आवश्यकता होती है 29.22 -
31.22 डिग्री सेल्सियस तापमान पौधों के अधिक समुचित विकास और फूलों के उत्तम गणों
के लिए सर्वोतम माना गया है फुल गोभी को गर्म दशाओं में उगाने से सब्जी का स्वाद
तीखा हो जाता है | फूलगोभी की खेती प्राय: जुलाई
से शुरू होकर अप्रैल तक होती है|
फुल गोभी की उन्नत किस्में -
उगाये जाने का आधार पर फूलगोभी को विभिन्न वर्गो
में बांटा गया है। इसकी स्थानीय तथा उन्नत दोनों प्रकार की किस्में उगायी जाती है ।
इन किस्मों पर तापमान एवं प्रकाश अवधि का बहुत प्रभाव पड़ता है। अत: इसकी उचित
किस्मों का चुनाव और उपयुक्त समय पर बुआई करना अत्यंत आवश्यक है। यदि अगेती किस्म
को देर से और पिछेती किस्म को जल्दी उगाया जाता है तो दोनों में शाकीय वृद्धि अधिक
हो जाती है फलस्वरूप फूल छोटा हो जाता है और फूल विलम्ब से लगते हैं। इस आधार पर
फूलगोभी को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है –पहला –अगेती, दूसरा-मध्यम एवं तीसरा-पिछेती।
अगेती किस्में - अर्ली
कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर
किंग, पावस, इम्प्रूब्ड जापानी।
मध्यम किस्में - पंत सुभ्रा,पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक,
पूसा स्नोबाल, के.-1, पूसा
अगहनी, सैगनी, हिसार नं.-1 ।
पिछेती किस्में- पूसा स्नोबाल -1, पूसा स्नोबाल-2, स्नोबाल-16 ।
फुल गोभी की खेती के
लियें भूमि और उसकी तयारी -
जिस भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 7 के मध्य हो वह
भूमि फुल गोभी के लिए उपयुक्त मानी गई है अगेती फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली
बलुई दोमट मिट्टी तथा पिछेती के लिए दोमट
या चिकनी मिट्टी उपयुक्त रहती है साधारणतया फुल गोभी की खेती बिभिन्न प्रकार की
भूमियों में की जा सकती है भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हो
इसकी खेती के लिए अच्छी होती है हलकी रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में
जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है | पहले खेत को पलेवा करें जब भूमि जुताई
योग्य हो जाए तब उसकी जुताई 2 बार मिटटी पलटने वाले हल से करें इसके बाद दो बार
कल्टीवेटर चलाएँ और प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं |
फुल गोभी के बीज बुआई का सही समय -
इसमे 450 ग्राम से 500 ग्राम बीज प्रति हैक्टर
प्रयाप्त होता हैI बीज बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम
कैप्टन या ब्रैसिकाल प्रति किलोग्राम बीज की दरसे शोधित कर लेना चाहिएI इसके साथ ही साथ 160 से 175 मिली लीटर को 2.5 लीटर पानी में मिलकर प्रति
पीस वर्ग मीटर के हिसाब नर्सरी मेंभूमि शोधन करना चाहिए I
पौधशाला में तयारी -
स्वस्थ पौधे तैयार करने के लिए भूमि तैयार होने
पर 0.75 मीटर चौड़ी, 5 से 10 मीटर लम्बी, 15 से 20 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियां बना लेनीचाहिएI दो
क्यारियों के बीच में 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी नाली पानी देने तथा अन्य क्रियाओ
करने हेतु रखनी चाहिएI पौध डालने से पहले 5 किलो ग्राम गोबर
की खाद प्रति क्यारी मिला देनी चाहिए तथा 10 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश व 5 किलो
यूरिया प्रति वर्ग मीटर के हिसाब सेक्यारियों में मिला देना चाहिए I पौध 2.5 से 5 सेन्टीमीटर दूरी की कतारों में डालना चाहिएI क्यारियों में बीज बुवाई के बाद सड़ी गोबर की खाद सेबीज को ढक देना चाहिएI
इसके 1 से 2 दिन बाद नालियों में पानी लगा देना चाहिए या हजारे से पानी क्यारियों देना चाहिएI
पौधरोपण करना -
फसल समय के अनुसार रोपाई एवं बुवाई की जाती हैI जैसे अगेती में मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक पौध डालकर पौध तैयार
करके 45 सेन्टी मीटर पंक्ति से पंक्ति और 45 सेन्टी मीटर पौधे से पौधे की दूरी पर
पौध डालने के 30 दिन बाद रोपाई करनी चाहिएI मध्यम फसल
मेंअगस्त के मध्य में पौध डालना चाहिएI पौध तैयार होने के
बाद पौध डालने के 30 दिन बाद 50 सेन्टी मीटर पंक्ति से पंक्ति और 50
सेन्टीमीटरपौधे से पौधे दूरी पर रोपाई करनी चाहिएI पिछेती
फसल में मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक पौध डाल देना चाहिए I 30 दिन बाद पौध तैयारहोने पर रोपाई 60 सेन्टीमीटर पंक्ति से पंक्ति और 60
सेन्टीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए I
खाद एवं उर्वरक :-
फुल गोभी कि अधिक उपज लेने के लिए भूमि में
पर्याप्त मात्रा में खाद डालना अत्यंत आवश्यक है मुख्य मौसम कि फसल को अपेक्षाकृत
अधिक पोषक तत्वों कि आवश्यकता होती है इसके लिए एक हे. भूमि में ३५-४० क्विंटल
गोबर कि अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद एवं 1 कु. नीम की खली डालते है रोपाई के 15
दिनों के बाद वर्मी वाश का प्रयोग किया जाता है
रासायनिक खाद का प्रयोग करना हो 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग
करना चाहिए |
फसल में सिचाई प्रबंधन -
पौधों कि अच्छी वृद्धि के लिए मिटटी में
पर्याप्त मात्रा में नमी का होना अत्यंत आवश्यक है। सितम्बर के बाद 10 या 15 दिनों
के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में 5 से 7 दिनों
के अंतर पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
फसल में खरपतवार नियन्त्रण -
फूलगोभी में फूल तैयार होने तक दो-तीन
निकाई-गुड़ाई से खरपतवार का नियन्त्रण हो जाती है, परन्तु व्यवसाय
के रूप में खेती के लिए खरपतवारनाशी दवा स्टाम्प 3.0 लीटर को
1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव रोपण के
पहले काफी लाभदायक होता है।
निकाई - गुड़ाई तथा मिटटी चढ़ाना -
पौधों कि जड़ों के समुचित विकास हेतु निकाई-गुड़ाई
अत्यंत आवश्यक है। एस क्रिया से जड़ों के आस-पास कि मिटटी ढीली हो जाती है और हवा
का आवागमन अच्छी तरह से होता है जिसका अनुकूल प्रभाव उपज पर पड़ता है। वर्षा ऋतु
में यदि जड़ों के पास से मिटटी हट गयी हो तो चारों तरफ से पौधों में मिटटी चढ़ा देना
चाहिए।
रोग प्रबंधन-
फसल
सुरक्षा दो प्रकार की होती हैI पहला रोग नियंत्रण और दूसरा कीट
नियंत्रण I रोग नियंत्रण में पौध गलन या डंपिंग आफ जनक की
बीमारीपीथियम नामक फफूंदी से होती हैI
इससे बीज अंकुरित होते ही पौधे संक्रामित हो जाते हैI
इसका नियंत्रण बीज बुवाई के
पहले बीज शोधन करकेबोना चाहिएI जैसे की 2.5 से 3 ग्राम थीरम
या इग्रोसिन जी एन से प्रति किलोग्राम बीज को शोधन कर लेना चाहिएI दूसरा है ब्लैक राट जीवाणुकाला सडन इसमे पत्तियों पर सबसे पहले अग्रेजी के
वी आकार के नमी युक्त हरे भाग बनाते हैI
जो की बाद में भूरे तथा बाद में काले होकरमुरझा जाते हैI इसका नियंत्रण पौधे के अवशेष एकत्र करके जला देना चाहिएI
फसल कटाई -
फूलगोभी की कटाई उस समय करनी चाहिएI जब फूल उचित आकार के ठोस दिखाई देने लगेI फूलगोभी या
हेड को नीचे से काटना चाहिए जिससेकी ले जाने ले आने में फूल की रक्षा बनी रहेI
फूलो की कटाई हमेशा सुबह या शाम करनी चाहिए I
पैदावार -
इसकी उपज 300-400 कुन्तल प्रति हैक्टर फूलो का
वजन बाजार में ले जाने हेतु प्राप्त होता है I
No comments:
Post a Comment