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गेंदा के फूल की खेती कैसे करे | गेंदा के फूल की खेती से कमाइए लाखों रुपए - How to grow Marigold Flower in Hindi -


गेंदा हर मौसम में प्राप्त होने के साथ साथ इसकी दूसरी विशेषता है कि यह कई दिनों तक ताजा बना रहता है। गेंदे का पौधा हर प्रकार की जलवायु के प्रति सहनशील होता है तथा लम्बे समय तक फूलता रहता है। गेंदे का उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सजाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग मंदिरों में पूजा के लिए तथा मंदिर को सजाने में भी किया जाता है। विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यक्रमों में स्वागत हेतु भी गेंदे की फूल का माला बनाकर किया जाता है। पर गेंदे का अत्यधिक प्रयोग खासकर शादी ब्याह में मंडप सजाने, गाड़ी सजाने तथा वरमाला आदि बनाने में होता है।


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गेंदे की खेती के लियें जलवायु –
गेंदे की खेती संपूर्ण भारतवर्ष में सभी प्रकार की जलवायु में की जाती है। विशेषतौर से शीतोषण और सम-शीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है। नमीयुक्त खुले आसमान वाली जलवायु इसकी वृध्दि एवं पुष्पन के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन पाला इसके लिए नुकसानदायक होता है। इसकी खेती सर्दी, गर्मी एवं वर्षा तीनों मौसमों में की जाती है। इसकी खेती के लिए 14.5-28.6 डिग्री सैं. तापमान फूलों की संख्या एवं गुणवत्ता के लिए उपयुक्त है जबकि उच्च तापमान 26.2 डिग्री सैं. से 36.4 डिग्री सैं. पुष्पोत्पादन पर विपरीत प्रभाव डालता है।

भूमि और उसकी तयारी –
गेंदे की अच्छी पैदावार के लिए दोमट भूमि जिसकी जल धारण क्षमता अच्छी हो, जिसका पी.एच. मान 7-7.5 के बीच हो की जा सकती है। गेंदे की उचित वृद्धि के लिए 18-20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान होना चाहिए।
गेंदे की खेती के लिए एक बखर चलाकर भूमि में 200-300 क्विंटल गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर में फैलाकर दूसरी बार बखर चलाकर अच्छी तरह से मिला देना चाहिए, खेत में अधिक बार बखर नहीं चलाना चाहिए क्योंकि उत्पादन लागत में वृद्धि हो जाएगी तथा बार-बार बखर चलाने से उत्पादन में विशेष वृद्धि नहीं होती है।

गेंदे की किस्मे –
गेंदा की चार प्रकार की किस्मे पायी जाती है प्रथम अफ्रीकन गेंदा जैसे कि क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड आदि हैI ये सभी व्यापारिक स्तर पर कटे फूलो के लिए उगाई जाती हैI दूसरे प्रकार की मैक्सन गेंदा जैसे कि टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि है ये सभी प्रमुख प्रजातियां हैI तीसरे प्रकार की फ्रेंच गेंदा जैसे कि बोलेरो गोल्डी, गोल्डी स्ट्रिप्ट, गोल्डन ऑरेंज, गोल्डन जेम, रेड कोट, डेनटी मैरिएटा, रेड हेड, गोल्डन बाल आदि हैI इन प्रजातियों का पौधा फ़ैलाने वाला झड़ी नुमा होता हैI पौधे छोटे होते है देखने में अच्छे लगते है I चौथे संकर किस्म की प्रजातिया जैसे की नगेटरेटा, सौफरेड, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसन्ती गेंदा आदि I

गेंदे की बीज बुवाई –
गेंदे की बीज की मात्रा किस्मों के आधार पर लगती हैI जैसे कि संकर किस्मों का बीज 700 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा सामान्य किस्मों का बीज 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता हैI भारत वर्ष में इसकी बुवाई जलवायु की भिन्नता के अनुसार अलग-अलग समय पर होती हैI उत्तर भारत में दो समय पर बीज बोया जाता है जैसे कि पहली बार मार्च से जून तक तथा दूसरी बार अगस्त से सितम्बर तक बुवाई की जाती हैI

पोषण प्रबंधन –
गेंदा के पौधों की रोपाई समतल क्यारियो में की जाती है रोपाई की दूरी उगाई जाने वाली किस्मों पर निर्भर करती हैI अफ्रीकन गेंदे के पौधों की रोपाई में 60 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रखते है तथा अन्य किस्मों की रोपाई में 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे तथा लाइन से लाइन की दूरी रखते है|

खाद एवं उर्वरक –
गेंदा की अच्छी ऊपज  है तो खेत की तैयारी से पहले 200 क्विंटल कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें । तत्पश्चात 120-160 किलो नेत्रजन, 60-80 किलो फास्फोरस एवं 60-80 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग प्रति है क्टेयर की दर से करें। नेत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। नेत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधा रोप के 30-40 दिन के अन्दर प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण –
खरपतवार नियंत्रण हाथ से तथा रसायनिक विधि दोनों तरह से कर सकते है लेकिन पौधे की उचित वृद्धि के लिए खरपतवार खुरपी की सहायता से हाथ से करना चाहिए, ऐसा करने से भूमि में वायु संचार बढऩे से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है, इसके लिए जहां तक संभव हो सके खुरपी की सहायता, हेण्ड हो आदि से ही करनी चाहिए।

गेंदे की फसल में सिंचाई –
गेंदा एक शाकीय पौधा है, जिसे अधिक मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है, पानी की कमी से पौधा मुरझाने लगता है जिससे उत्पादन में कमी आ जाती है इस प्रकार सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए बरसात में यदि समय-समय पर पानी गिरता रहे तो अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि पानी समय पर नहीं बरसे तो आवश्यकतानुसार पानी देना चाहिए। शीतकालीन में 5-8 दिन के अंतराल से सिंचाई करनी चाहिए। इसी प्रकार गर्मीयों में 3-4 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए।

निराई – गुड़ाई –
गेंदा के खेत को खरपतवारो से साफ़ सुथरा रखना चाहिए | तथा निराई - गुड़ाई करते समय गेंदा के पौधों पर 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए | जिससे कि पौधे फूल आने पर गिर न सके |

कीट नियंत्रण –
गेंदा में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते है इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए अथवा क़यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए I

रोग नियंत्रण –
गेंदा में आर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग तथा मृदु गलन रोग लगते हैI आर्ध पतन हेतु नियंत्रण के लिए रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिएI खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए  विषाणु एवं गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए I

तुड़ाई और कटाई –
जब हमारे खेत में गेंदा की फसल तैयार हो जाती है तो फूलो को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए तथा तेज धूप न पड़े फूलो को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलो को साफ़ पात्र या बर्तन में रखना चाहिएI फूलो की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिएI पूरे खिले हुए फूलो की ही कटाई करानी चाहिएI कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता पर तजा रखने हेतु रखना चाहिएI कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलो के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते है I

गेंदे की पैदावार –
गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है इसके साथ ही सभी तकनीकिया अपनाते हुए आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर फूल प्राप्त होते है कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है यह उपज पूरी फसल समाप्त होने तक प्राप्त होती हैI

दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई गेंदे की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे कमायें, हमे आशा है आपको गेंदे की खेती की जानकारी समझ में आ गई होगी | फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव हैतो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हमसे पूछ सकते हैदोस्तों इस ब्लॉग पर आए भी खेती बड़ी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी, जानकारी अच्छी लगे तो इस अपने दोस्तों के शत सोशल साईट पर शेयर जरुर करें, और हमारी इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें , धन्यवाद |


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