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तोरई की खेती कैसे करें | तोरई की खेती से कमाइए लाखों रुपए - Torai Ki kheti kaise karen -


घिया तोरई की कृषि भारतवर्ष में एक मुख्य फसल के रूप में की जाती है। यह तोरई विदेशों में भी बहुत अधिक मात्रा में साधारणत: पैदा की जाती है। अधिकतर खेती भारतवर्ष के मैदानी भागों में की जाती है। घिया तोरई को भारत के प्रत्येक प्रदेश में उगाया जाता है। 

Torai Ki kheti kaise karen

आज हमारे देश में अधिक क्षेत्र में की जाती है।काली तोरई को आजकल भारतवर्ष के लगभग सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है। अधिकांशत:पूर्वी एवं दक्षिणी भारत में बहुत अधिक क्षेत्र में पैदा किया जाता है। काली तोरई की खेती पश्चिमी विदेशों में नहीं की जाती है। इस तोरई के फल लाइन,धारी सहित देखने को मिलते हैं तोरई पोषक - तत्वों उत्तम स्वास्थ्य के लिये उपयुक्त होती है। अर्थात् पोषक-तत्वों की मात्रा अधिक पायी जाती है। तोरई का प्रयोग अधिकतर सब्जियों के लिये किया जाता है ।तोरई के अन्दर कुछ मुख्य पोषक-तत्व पाये जाते हैं- कैल्शियम, कैलोरीज, पोटेशियम, लोहा, कार्बोहाइड्रेटस तथा विटामिन आदि।

जलवायु –
यह हर प्रकार की जलवायु में हो जाती है तोरई के सफल उत्पादन के लिए उष्ण और नम जलवायु उतम मानी गई है भारत में इसकी खेती केरल, उड़ीसा, बंगाल, कर्नाटक और उ. प्र. में विशेष रूप से की जाती है |

भूमि व उसकी तयारी –
इसको सभी  प्रकार की मिट्टियों  में उगाया जा सकता है परन्तु  उचित जल निकास धारण क्षमता वाली जीवांश युक्त हलकी दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है वैसे उदासीन पी.एच. मान वाली भूमि इसेक लिए अच्छी रहती है नदियों के किनारे वाली भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है कुछ अम्लीय भूमि में इसकी खेती की जा सकती है भूमि की तैयारी के लिये खेत को ट्रैक्टर या मिट्‌टी पलटने वाले हल से 2-3 जुताई करनी चाहिए जिससे खेत में घासफूस कटकर मिट्टी में दब जाये तथा खेत घासरहित हो सके । इसके बाद देशी हल या ट्रिलर द्वारा जुताई कराके खेत की मिट्‌टी को भुरभुरा कर लेना लाभदायक होता है। बगीचों की मुख्य फसल होने के कारण बोने के स्थान को अच्छे ढंग से खोदकर तैयार कर लेना चाहिए। यदि हो सके तो देशी खाद भी मिला देना फसल के लिये उपयुक्त होता है।बाद में मिट्‌टी को बारीक कर लेना अति आवश्यक होता है ।

तोरई की किस्मे –
तोरिया की फसल के लिए उन्नतशील प्रजातियों का चयन करना चाहिए जैसे की टाइप 9, भवानी, पी.टी.303 तथा पी.टी.30 की बुवाई समय पर करनी चाहिएI

बुवाई का समय और बुवाई –
ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई फरवरी-मार्च तथा वर्षाकालीन फसल की बुवाई जून-जुलाई में करनी चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 5 किग्रा. बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई के लिए नाली एवं थाला विधि सबसे उत्तम है। इस विधि में खेत की तैयारी के बाद 2.5-3.0 मी. की दूरी पर 45 सेमी. चौड़ी तथा 30-40 सेमी. गहरी नालियाँ बना लेते हैं। इन नालियों के दोनों किनारों (मेड़ों) पर 50-60 सेमी. की दूरी पर बीज की बुवाई करते हैं। एक जगह पर कम से कम दो बीज लगाना चाहिए तथा बीज जमने के बाद एक पौधा निकाल देते हैं।
खाद एवं उर्वरक –
अच्छी पैदावार के लिए 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद खेती की तैयारी के समय खेत में मिला देते हैं। इसके अलावा 30-35 कि.ग्रा. नत्रजन, 25-30 कि.ग्रा. फास्फोरस तथा 25-30 कि.ग्रा. पोटाश की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। नजत्रन की आधी मात्रा तथ फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय खेत मे डालते हैं। नत्रजन की शेष आधी मात्रा बुवाई के 30-40 दिन बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में जड़ों के पास देना चाहिए।

तोरई की फसल में सिंचाई –
नसदार तोरई की वर्षाकालीन फसल के लिए सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है| वर्षा न होने की स्थिति में यदि खेत में नमी की कमी हो तो सिंचाई कर देनी चाहिए।ग्रीष्मकालीन फसल की पैदावार सिंचाई पर ही निर्भर करती है। गर्मियों में 5-6 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

पौधों को सहारा देना –
सामान्यतया ग्रीष्मकालीन फसल में पौधों को चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन वर्षाकालीन फसल में पौधों को बढऩे के साथ ही ट्रेलिस या पण्डाल बनाकर चढ़ा देना चाहिए इससे गुणवत्तायुक्त अधिक उपज प्राप्त होती है।
खरपतवार प्रबंधन –
किसान भाइयो तोरिया की बुवाई के 15 दिन बाद घने पौधों को निकालकर पौधों की आपस की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर कर देना चाहिए तथा खरपतवार नष्ट करने के लिए निराई - गुड़ाई कर देना चाहिए I यदि खरपतवार अधिक है तो पेंडामेथलीन 30 ई.सी. नामक रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 12 से 36 घंटे के अंदर जमाव के पहले छिड़काव करना चाहिएI
कीट नियंत्रण –
किसान भाइयो तोरिया की फसल के प्रमुख कीट जैसे सरसों की आरा मक्खी, चित्रिल कीट तथा बालदार सूंडी प्रमुख कीट है जो तोरिया की फसल को हानि पहुचते है फसल को इन कीटो से बचाव के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. रसायन की 1.5 लीटर मात्रा या फैंटोथियान 50 ई.सी. रसायन की 1 लीटर मात्रा या डायमिथोयेट 30 ई.सी.की 1 लीटर मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिएI
रोग नियंत्रण –
तोरिया की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियो तथा फलियों पर कत्थई रंग के धब्बे बनाते है इनके उपचार के लिए मेन्कोजेब 75 % की 2 किलोग्राम मात्रा अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 80% की 3 किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए तथा फसल में सफ़ेद गेरुई रोग एवं तुलसिता रोग के नियंत्रण के लिए रोडोमिल एम्.जेड. 72 की 2.5 किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिएI
फलों की तुड़ाई –
तोरई की फसल की तुड़ाई फलों के आकार को देखकर तथा कच्ची अवस्था में की जाती है । तोड़ते समय ध्यान रहे कि चाकू आदि से काटने पर अन्य फल या शाखा न कटें क्योंकि कभी-कभी किसी पेड़ के साथ सहारा देकर फल ऊपर लगते हैं । ऊंचे होने के कारण तुड़ाई कठिन हो जाती है । फलों को परिपक्व अवस्था में तोड़ने पर रेशे व बीज बड़े हो जाने का भय रहता है । जिसका उपयोग करना मुश्किल होता है ।
तोरई की पैदावार –
तोरई की पैदावार जाति के ऊपर निर्भर करती है क्योंकि पूसा चिकनी की पैदावार पूसा नसेदार की अपेक्षा अधिक है।इस प्रकार से औसतन पैदावार140 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त हो जाती है।बगीचे में भी सही देखभाल करने पर 20 - 25 कि.ग्रा. फल 8-10 वर्ग मी. क्षेत्र में आसानी से पैदा हो जाते हैं एक साधारण परिवार के लिये ताजी सब्जी गृह-वाटिका से समय-समय पर उपलब्ध होती रहती है ।
भण्डारण –
भण्डारण के लिये कच्चे फलों को तोड़कर सावधानी से रखना चाहिए। फलों को पानी से भिगोकर रखने से 3-4 दिन ताजा रखा जा सकता है। ध्यान रहे कि स्टोर वाले फलों को ठंडल सहित काटना चाहिए। ठंडल सहित काटने से शीघ्र खराब नहीं होता है। गर्मी में भीगा बोरे का टाट रखकर ताजा फल रखे जा सकते हैं। अधिक लम्बे समय के लिये कोल्ड-स्टोर की सहायता लेनी चाहिए। फलों को हमेशा धूप से बचाना चाहिए।
दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई तोरई की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे कमायें, हमे आशा है आपको तोरई की खेती की जानकारी समझ में आ गई होगी| फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव है, तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हमसे पूछ सकते है, दोस्तों इस ब्लॉग पर आए भी खेती बड़ी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी, जानकारी अच्छी लगे तो इस अपने दोस्तों के शत सोशल साईट पर शेयर जरुर करें, और हमारी इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें ,
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