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चुकन्दर की खेती कैसे करें | चुकन्दर की खेती से कमाइए लाखों रुपए - Beetroot Farming in Hindi


चुकंदर (Beetroot) की फसल की लिए ना तो जायदा गर्मी और ना ही जायदा सर्दी सम जलवायु उपयुक्त रहती है| ज्यादा सर्दी और गर्मी का फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है| इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों में भी सफलतापुर्वक की जा सकती है| चुकंदर (Beetroot) की फसल के लिए 30 से 60 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा उपयुक्त रहती है| पौधों की वृद्धि के समय मौसम चमकीला और सम होना चाहिए| ज्यादा तापमान पर इसकी जड़ो में चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है

Beetroot Farming in Hindi


उपयुक्त भूमि और उसकी तयारी -
चुकंदर की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है| परन्तु इसके लिए सबसे उपयुक्त दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है| जहां पानी की निकासी की भी व्यवस्था होनी चाहिए| इसको लवणीय मिटटी में भी उगाया जा सकता है| प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के पश्चात एक बार हेरो चलाकर कल्टीवेटर से क्रॉस में जुताई करनी चाहिए एवं अंत में पाटा चलाकर खेत को समतल कर देना चाहिए। खेत की जुताई के समय उसमे पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
चुकन्दर की उन्नत शील किस्मे -
चुकंदर (Beetroot) की किस्में इस प्रकार है जैसे- इग्लोपोली, ऐजे पोली, ईरो टाइप ई, एनपी पोली, मेरोबी मेरोक पोली, मेरोबी मेगना पोली, ब्रुश ई ट्रिप्लेक्स, रोमांस काया, बीजीडब्लू- 674, एमएसएच- 102, यूएसएच- 9, यूएस- 75 और यूएच- 35 इत्यादि प्रमुख है|

बीज की मात्रा -
चुकन्दर के उत्तम सफल उत्पादन के लिए बीज का चुनाव मुख्य है । बीज का उत्तम होना आवश्यक है । साधारणत: बीज की मात्रा 6-8 किलो प्रति हैक्टर की आवश्यकता होती है । बीज की मात्रा, बुवाई का ढंग, समय व किस्म पर भी निर्भर करता है ।

बुवाई का समय व तरीका -
बुवाई खेत तैयारी के बाद सारे खेत में एक साथ न बोकर 10-15 दिन के अन्तर से बोयें जिससे जड़ें लम्बे समय तक मिलती रहें। जाड़े की फसल होने के कारण बोने का समय अक्टूबर-नवम्बर तक होता है । बीज की छोटी क्यारियां बनायें तथा कतारों में लगायें। इन कतारों की दूरी 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. रखें जिससे बड़ी जड़ें आपस में मिल न सकें । बीज की गहराई अधिक न लेकर 1-5-2 सेमी. रखें जिससे अंकुरण में परेशानी न आये। गहरा बीज गल, सड़ जाता है। बगीचों के लिये बीज 20-25 ग्राम 8-10 मी. क्षेत्र के लिए काफी होता है। यदि गमलों में लगाना हो तो 2-3 बीज बोयें तथा उपरोक्त समय पर बोयें। कतारों की दूरी 25-30 सेमी. व पौधों की दूरी 8-10 सेमी. रखें ।

खाद एवं उर्वरकों -
जड़ों की फसल होने से देशी खाद या कम्पोस्ट खाद की मात्रा भूमि की किस्म के ऊपर निर्भर करती है । बलुई दोमट भूमि के लिये 15-20 ट्रौली खाद (एक ट्रौली में एक टन खाद) प्रति हैक्टर खेत तैयार करते समय दें । यदि भूमि रेतीली है तो हरी खाद के रूप में भी दें जिससे खेत में ह्यूमस व पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाये । रासायनिक खाद या उर्वरकों की मात्रा, जैसे-नत्रजन 60-70 किलो, फास्फोरस 60 किलो तथा पोटाश 80 किलो प्रति हैक्टर के लिये पर्याप्त होता है । नत्रजन की आधी मात्रा, फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा को बुवाई से 15-20 दिन पूर्व मिट्‌टी में मिलायें तथा शेष नत्रजन को बोने के बाद 20-25 दिन व 40-45 दिन के बाद दो बार में छिड़कने की सिफारिश की जाती है । इस प्रकार से जड़ों का विकास ठीक होता है ।

फसल में सिचाई प्रबंधन -
चुकंदर को अधिक पानी की आवश्यकता नही होती है सिचाइयों कि संख्या व समय सर्दियों कि वर्षा के ऊपर निर्भर करता है साधारणत: पहली दो सिचाइया बुवाई के १५-२० दिन के अंतर पर करते है बाद में फसल कि कटाई तक २०-२५ दिन के अंतर पर सिचाइया करते रहते है आवश्यकता से अधिक पानी खेत में नहीं ठहरने देना चाहिए इससे शर्करा कि मात्रा पर बुरा प्रभाव पड़ता है खुदाई के समय भूमि में कम नमी रखना , सुक्रोज कि मात्रा बढ़ाता है ।

खरपतवारों का नियन्त्रण -
चुकंदर (Beetroot) की फसल में खरपतवार के लिए पहली निराई गुड़ाई बुवाई के 25 से 35 दिन बाद करनी चाहिए, इसके बाद आवश्यतानुसार निराई गुड़ाई करनी चाहिए| यदि खरपतवारनाशी से खरपतवार पर नियन्त्रण चाहते है, तो 3 लिटर पेंडीमिथेलिन को 800 से 900 लिटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर फसल बुवाई से 2 दिन तक नम मिट्टी में छिड़काव करना चाहिए, जिसे की खरपतवार का जमाव ही नही होगा| यदि हुआ तो बहुत कम होगा 

किट नियंत्रण -
चुकंदर (Beetroot) में मुख्यतः पत्ती काटने वाले कीड़े, विटल और सुंडी का प्रकोप होता है| इनकी रोकथाम के लिए 1.5 लिटर एंडोसल्फान या 1.5 लिटर मैलाथियान 2 प्रतिशत को 700 से 800 लिटर पानी में मिलाकर 10 से 15 दिन के अन्तराल में प्रति हेक्टेयर दो बार छिड़काव करना चाहिए 

रोग नियंत्रण -
चुकंदर की फसल में दो तरह के रोग ज्यादा लगते है, जैसे पत्ती छेदक और जड़ या तना गलन रोग इनकी रोकथाम के लिए बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर के बोना चाहिए| रोगी पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में दबा देना चाहिए|इसके साथ डाइथेन एम 45 प्रति हेक्टेयर 1 लिटर का 700 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 से 15 दिन के अन्तराल में दो बार छिडकाव करना चाहिए|

फसल खुदाई -
खुदाई बड़ी व मीठी जड़ों की करें तथा बाजार की मांग के हिसाब से करते रहे। खुदाई खुरपी या पावड़े से करें तथा जड़ें कट न पायें। खोदने से पहले हल्की सिंचाई करें जिससे आसानी से खुद सकें तथा ग्रेडिंग करके बाजार भेजें जिससे मूल्य अधिक मिल सके ।

चुकन्दर की उपज -
अनुकूल मौसम और उपरोक्त विधि से खेती करने के पश्चात चुकंदर की पैदावार 65 से 80 टन प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए  तो उपरोक्त विधि के अनुसार किसान भाई चुकंदर की खेती कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है 

दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई चुकन्दर की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे कमायें, हमे आशा है आपको चुकन्दर की खेती की जानकारी समझ में आ गई होगी| फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव है,तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हमसे पूछ सकते है, दोस्तों इस ब्लॉग पर आए भी खेती बड़ी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी, जानकारी अच्छी लगे तो इस अपने दोस्तों के शत सोशल साईट पर शेयर जरुर करें, और हमारी इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें
धन्यवाद 


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