वरसात में ऐसे करें टमाटर की खेती - Tomato Farming
आज
के युग में किसान टमाटर की खेती करके लाखों में कमा रहे हैं और आत्मनिर्भर है टमाटर का नाम आते ही हमारे
आँखों के सामने इसके लाल लाल चटख रंग के साथ रस से भरा हुवा गोल मटोल आकार नजर आता
है ,पोषक तत्वों से भरपूर टमाटर हमारे घरो में
सामान्य सब्जीयो में तो उपयोग किया ही जाता है,टमाटर
की फसल को सम्पूर्ण भारतवर्ष में सफलतापूर्वक उगाया जाता है अगर आप भी हाइब्रिड
टमाटर की खेती वैज्ञानिक तरीके से करते है तो आपको कम लगत में काफी मुनाफा हो सकता
है|
टमाटर की फसल का समय
:-
टमाटर
की साल भर में मुख्य रूप से 2 बार फसल की बुवाई की जा
सकती है ,जिसमे गर्मियों में जहा जून और जुलाई में
पोधे को तेयार कर जहा अगस्त में लगाया जा सकता है | जून-जुलाई
में टमाटर की बुवाई करने की तुलना में ठण्ड के मोसम में टमाटर की बुवाई आधिक फायदेमंद होती है ,क्योकि इस समय फसल में
किसी भी तरह के रोग होने की आशंका कम जाती
है | किसी भी फसल का बुवाई से पहले अच्छी तरह
बीज उपचार करना एक प्रमुख कार्य है | टमाटर के बीजो के उपचार के लिए हमे थाइरम
मेटालाक्सिल का उपयोग करना चाहिये |
नर्सरी
तैयार करना :-
नर्सरी
के लिए एक मीटर चौड़ी व 3 मीटर लम्बी, 10 से 15 सेमी ऊंची क्यारियां बनाई जानी चाहिए। बीजों
को बुवाई से पूर्व 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज की
दर से उपचारित करना चाहिए। गर्मी की फसल के लिए दिसम्बर-जनवरी में तथा सर्दी की
फसल के लिए सितम्बर माह में बुवाई करें। एक हेक्टेयर में पौध रोपण हेतु 400 से 500 ग्राम बीज तथा संकर किस्मों के लिए 150 से 200 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर उपयुक्त रहती है।
नर्सरी में पौधों को कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए नीम तेल 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर या साथ में जाइनेब या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। ड्रिप सिंचाई
विधि से अगर सिंचाई करनी हो तो पौध रोपण एक मीटर चौड़ी तथा 10 से 15 सेमी ऊंची क्यारी पर पौधें की रोपाई करनी
चाहिए।
रोपण विधि:-
जब
पौधे 10 -15 सेमी लम्बे हो जाएं तो इनका रोपण खेत में कर
देना चाहिए। पौध की रोपाई खेत में शाम के समय 75 - 75
सेमी दूरी पर वर्षा ऋतु की फसल के लिए तथा 50
, 30 - 45 सेंमी की दूरी पर गर्मी के लिए करें। संकर किस्मों को
खेत में 90 - 45 सेंमी की दूरी पर लगाये एवं बढ़वार के समय लाइन के
ऊपर लोहे के तार पर सूतली की सहायता से सहारा दें।
फसल
में खाद एवं उर्वरक
:-
पौधों
की रोपाई के एक माह पूर्व 150 क्विंटल पकी हुई गोबर की सड़ी
खाद खेत में डाल कर भली भांति मिला दें। पौध लगाने से पूर्व 60 किलो नत्रजन, 80 किलो फॉस्फोरस एवं 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में ऊर दें। पौधे लगाने के 30
दिन बाद 30 किलो नत्रजन की मात्रा खड़ी फसल
में देकर सिंचाई करें। संकर किस्मों में 300 से 350 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 180 किलो नत्रजन,
120 किलो फॉस्फोरस एवं 80 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर
की दर से दे।
खेती
में निराई गुड़ाई एवं सिंचाई :-
पौध
लगाने के 20 - 25 दिन बाद प्रथम निराई गुड़ाई
करें।आवश्यकतानुसार दुबारा निराई गुड़ाई कर खेत को खरपतवार रहित रखना चाहिए | सर्दी
में 8-10 दिन व गर्मी में 6 दिन के अंतराल से आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। बूंद- बूंद सिंचाई से 60 -70 प्रतिशत पानी की बचत के साथ साथ 20 - 25 प्रतिशत उत्पादन अधिक प्राप्त किया जा सकता
है।
फल की तुड़ाई :-
टमाटर
के फलों की तुड़ाई उसके उपयोग पर निर्भर करती है ,यदि टमाटर को पास के बाजार में
बेचना है | तो फल पकने के बाद तुड़ाई करें | और यदि दूर के बाजार में भेजना हो तो
जैसे - ही पिस्टिल अन्त में रंग लाल हो जाये तो तुड़ाई आरम्भ कर सकते हैं।
फलों का भण्डारण :-
उत्पादक
वैसे तो अपना टमाटर सीधे बाजार में बेच देते है, परन्तु कभी-कभी
बाजार में मांग न होने से या बाजार भाव कम मिलने की स्थिति में परिपक्व हरे टमाटर
को 12.5 सेन्टीग्रेड तापमान पर 30 दिनों
तक तथा पके टमाटर को 4.5 सेन्टीग्रेड पर 10 दिन तक रखा जा सकता है, भण्डारण के समय आद्रर्ता 85.90 प्रतिशत होनी चाहिए।
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ReplyDeleteTomato Pests and their Management
नत्रजन क्या होता है
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