बरसात के मौसम में ऐसें
करें खीरे की खेती -
खेत की बिजाई :-
फल की तुड़ाई :-
खीरा एक सलाद के लिए मुख्य फसल समझी जाती है । इसकी खेती सम्पूर्ण
भारतवर्ष के सभी भागों में की जाती है । यह फसल अधिकतर सलाद व सब्जी के लिये
प्रयोग की जाती है । खीरे की फसल वसन्त तथा ग्रीष्म ऋतु में बोई जाती है।
खीरे की उन्नत शील किस्म:-
पंजाब
नवीन खीरे की अच्छी किस्म है। इस किस्म में कड़वाहट कम होती है | और इसका बीज भी
खाने लायक होता है । इसकी फसल 70 दिन मे तुड़ाई लायक हो जाती
हैं। इसकी औसत पैदावार 40 से 50 कुंतल
प्रति एकड़ तक होती है।
हिमांगी, जापानी लॉन्ग ग्रीन, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पूसा संयोग, शीतल,
फ़ाईन सेट, स्टेट 8 , खीरा
90, खीरा 75, हाईब्रिड1 व हाईब्रिड-2, कल्यानपुर हरा खीरा इत्यादि प्रमुख
है।
इसके अलावा खीरे की और प्रमुख किस्मे:-
हिमांगी, जापानी लॉन्ग ग्रीन, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पूसा संयोग, शीतल,
फ़ाईन सेट, स्टेट 8 , खीरा
90, खीरा 75, हाईब्रिड1 व हाईब्रिड-2, कल्यानपुर हरा खीरा इत्यादि प्रमुख
है।
खेत की तैयारी कैसें करें :-
खीरे
की फसल के लिए खेत की कोई खास तैयारी करने की आवश्यकता नही पड़ती है। क्योंकि इसकी
फसल के लिए खेत की तैयारी भूमि की किस्म के ऊपर निर्भर होती है। बलुई भूमि के लिये
अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती। 2से 3 जुताई
से ही खेत तैयार हो जाता है। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर क्यारियां बना लेनी
चाहिए। भारी-भूमि की तैयारी के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता पड़ती है। बगीचों के
लिये भी यह फसल उपयोगी है, जोकि आसानी से बुआई की जा सकती है।
खेत की बिजाई :-
खीरे
की फसल के लिए खेतो में बिजाई का समय सही समय जून-जुलाई है।
बीज की मात्रा :-
बीज
की मात्रा मौसम के आधार पर निर्धारित की जाती है । जायद के लिये शुद्ध बीज की
मात्रा 3-4
किलो प्रति हैक्टर तथा खरीफ की फसल के लिये 6-7 कि.ग्रा./हैक्टर की दर से आवश्यकता होती है । ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिये
अधिक बीज की जरूरत होती है क्योंकि तापमान व मौसम के कारण अंकुरण शत-प्रतिशत नहीं
हो पाता इसलिये अधिक बीज की मात्रा की आवश्यकता होती है । 20-25 ग्रा./8-10 वर्ग मी. के लिये पर्याप्त होते हैं ।
बिजाई का तरीका :-
बीज
को ढाई मीटर की चौड़ी बेड पर दो-दो फुट के फासले पर बोया जा सकता है। खीरे की बिजाई
उठी हुई मेढ़ो के ऊपर करना ज्यादा अच्छा हैं। इसमें मेढ़ से मेढ़ की दूरी 1 से 1.5 मीटर रखते है। जबकि पौधे से पौधे की दुरी 60
सें.मी. रखते हैं। बिजाई करते समय एक जगह पर कम से कम दो बीज लगाएं।
खाद
तथा उर्वरक की उचित मात्रा :-
खीरे
की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी करते समय ही 6 टन गोबर की
अच्छी तरह सड़ी खाद खेत में जुताई के समय मिला दें। 20 किलोग्राम
नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम फास्फोरस व 10
किलोग्राम पोटाश की मात्रा खीरे के लिए पर्याप्त रहती है। खेत में बिजाई के समय 1/3
नाइट्रोजन, फास्फोरस की पूरी मात्रा तथा पोटाश
की पूरी मात्रा डाल दे। बची हुई नाइट्रोजन को दो बार में बिजाई के एक महीने बाद व
फूल आने पर खेत की नालियों में डाल कर मिट्टी चढ़ा दें।
खेत की सिंचाई :-
खेत की सिंचाई :-
बरसात
में ली जाने वाली फसल के लिए प्राय, सिंचाई की आवश्यकता कम ही पड़ती है। यदि वर्षा
लम्बे समय तक नहीं होती है, तो सिंचाई कर देनी चाहिए। बेलो पर फल लगते समय नमी का
रहना बहुत ज़रूरी है। अगर खेत में नमी की कमी हो तो फल कड़वे भी हो सकते हैं।
खरपतवार नियन्त्रण :-
किसी
भी फसल की अच्छी पैदावार लेने की लिए खेत में खरपतवारो का नियंत्रण करना बहुत
जरुरी है । इसी तरह खीरे की भी अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को खरपतवारों से साफ
रखना चाहिए । इसके लिए बरसात में 3 - 4
बार खेत की निराई - गुड़ाई करनी चाहिए ।
फल की तुड़ाई :-
बीज
बुवाई के ठिक 2 महीने बाद फसल तैयार हो जाता है, और फसल के तैयर हो जाने पर 2 महिने तक हर 3 से 4 दिन के अन्तराल में फलो की तुड़ाई करे |
पैदावार :-
खीरे की जायद की फसल की उपज सही देखभाल के
पश्चात् 100 -120 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है । जबकि
खरीफ की फसल की पैदावार अधिक होती है । इस प्रकार से खरीफ की फसल की पैदावार 14-16
क्विंटल प्रति हैक्टर की दर से प्राप्त होती है । बगीचों से भी समय
पर फल मिलते रहते हैं । इस प्रकार से 15-20 कि.ग्रा. प्रति
वर्ग मी. क्षेत्र से आसानी से प्राप्त हो जाते हैं
भंडारण :-
खीरे को लगभग सभी जगह प्रयोग किया जाता है ।
फलों का प्रयोग अधिकतर बड़े-बड़े होटलों में सलाद के रूप में अधिक प्रयोग करते हैं ।
इसलिए इन फलों को लम्बे समय तक रोकना (Storage) पड़ता है । अत: यह गर्मी
की फसल होने के कारण फलों को 10 डी०सेग्रेड तापमान पर स्टोर
किया जा सकता है । स्टोर के लिये अच्छे, बड़े व कच्चे फलों को
ही स्टोर करना चाहिए ।
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