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मूंगफली की खेती कैसे करें | मूंगफली की खेती से कमाइए लाखों रुपए -


मूंगफली की खेती  कैसे करें

मूंगफली मनुष्य के स्वस्थ के लिए काफी फायदेमंद होने के कारण लोगो में इसका इस्तेमाल काफी बढ़ा है, जिसके कारण लोग इसका खेती करना आजकल काफी पसंद करते है | भारत में मूंगफली की खेती अनेको राज्यों में की जाती है, जिनमे यह प्रमुख है, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक के राज्यों में उत्पादन अधिक किया जाता है, परन्तु आज भारत के सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है | और आज कई स्थानों पर लोग इसका खेती कर अपना business चला रहे है | मुख्यतः मूंगफली का उत्पादन एक एक्कड़ में एक क्विंटल के आस पास होता है |  
मूंगफली की  किस्म :-
भारत में मूंगफली के कई प्रकार के किस्म पाए जाते है, सभी किस्मो का अपना खासियत है  किसी भी फसल की खेती के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण है, की आप किस किस्म के बीज  का इस्तेमाल कर रहे है | फसल का उत्पादन इसके किस्म पर आधारित होता है | इसकी किस्में हैं  एके-12, 24, जे11, ज्योति, कोंशल  जी 201, कादरी 3, एम 13, आईसीजीएस 11, गंगापुरी, आईसीजीएस-44, जेएल 24, टीजी 1, आई.सी.जी.एस 37 प्रमुख किस्में हैं |
मूंगफली की खेती के लिये जलवायु :-

मूंगफली को उष्ण कटिबन्ध फसल भी कहा जाता है | परन्तु इसकी खेती समशीतोष्ण कटिबन्ध के उन क्षेत्रो में किया जाता है, जहा गर्मी का मौसम अन्य क्षेत्रो से लम्बी होती है | मूंगफली के उन्नत विकास के लिए अधिक वर्षा, अधिक गर्मी या अधिक ठण्ड लाभप्रद नहीं होता है | मूंगफली के अनुकर आने के समय इसे 14से 15 डीग्री सेंटीग्रेड  तापमान और फसल के वृधि के लिए 20से 30 डीग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है | इसके फसल में 30से 60 सेंटी मीटर की सिचाई अच्छी मानी जाती है | प्रयुक्त तापमान और सिचाई के साथ मूंगफली की खेती के लिए बलुवर , बलुवर दोमट , दोमट और काली मिटटी सबसे अच्छा होता है |

मूंगफली की खेती के लिये खेत की तैयारी :-
किसी भी फसल को करने के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना अति आवश्यक है | फसल लगाने से पहले खेत को जोत कर अच्छी तरह भुर-भूरी कर ले | खेत की मिट्टी जितनी भुर-भूरी होगी मूंगफली उतना अधिक फैलेगा और इसका उत्पादन उतना ही अधिक होगा | इसलिए फसल लगाने से पहले खेत में 5से 7 जुताई कर ले, जुटाई के उपरांत खेत से सारे खर पतवार को निकाल कर खेत को साफ़ कर ले | और खेत में दीमक न लगे इसके लिए आप अपने खेत में अंतिम जुताई से पहले क्विनलफोस 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर के दर से अपने खेत में डाले |
मूंगफली की खेती में बुआई के समय :-
किसी भी फसल का बुआई का समय इसके उत्पाद पर असर डालता है | अगर आप समय पर फसल की बुआई करेंगे तो आपको इसका अच्छा उत्पाद मिलेगा और अगर समय से पहले या बाद किया गया तो मूंगफली का विकास अच्छे से नहीं होगा और production कम  होगा | इसलिए बीजो की बुआई हमेसा मौनसून के आरम्भ 15 जून से 15 जुलाई में कर देनी चाहिए | इससे फसल का विकास अच्छा होता है |
बीज की बुआई :-
बीज को लगाने से पहले हमे कुछ बातो का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है | लगाई जाने वाली बीज पुर्णतः पकी, मोटी, स्वस्थ के साथ साथ बीज कही से कटी फटी नहीं होनी चाहिए | बुआई से पहले अर्थात बुआई के 2से 3 दिन पहले हमे स्वस्थ मूंगफली के छिल्को को सावधानी पूर्वक निकाल लेना चाहिए | अच्छी उपज के लिए ये अति आवश्यक है की खेत में बीज का इस्तेमाल उचित मात्रा में किया जाए | इसलिए प्रति एक्कड़ 30से 40 kG  बीज की बुआई सवोत्तम माना जाता है | बीज को बोते वक्त ध्यान रखे की बीज को अधिकतम 7 सेंटी मीटर की गहराई में एक पंक्ति में लगाए और साथ ही दो पंक्तियों के बीच की दुरी 30 से 40 सेंटी मीटर रखे एवं दो बीजो के बीच 20 सेंटी मीटर की दुरी रखी जाती है |
बुआई की विधि :-
§  ऐसे तो बीज के बुआई का कई विधियाँ है परन्तु भारत में निम्न विधियाँ प्रचलित है |
§  पहली विधि हल के पीछे बोना इस विधि में हल के द्वारा 5 से 7 सेंटी मीटर की गहरी जुताई किया जाता है और साथ साथ बीज को लगाया जाता है |
§  दूसरी विधि, डिबलर विधि, इस विधि का इस्तेमाल कम किया जाता है, क्योकि इस विधि में श्रम और समय की आवश्यकता अधिक होती है | इस विधि में बीज की बुआई डिबलर या खुरपी की सहायता से बीज को लगाया जाता है |
§  तीसरी विधि ,सीड प्लान्टर विधि, इस विधि का इस्तेमाल उन क्षेत्रो में किया जाता है, जहाँ कम समय में अधिक क्षेत्रफल में बीज लगाना हो | इस विधि में खर्च भी कम आती है |
खाद एवं उर्वरक :-
फसल के अच्छी उपज के लिए मिट्टी में पर्याप्त तत्व की उपस्थिति आवश्यक है | इसलिए बुआई से पूर्व खेतो में गोबर की खाद के साथ नीम की खली और अरंडी के खली का मिश्रण बना कर खेत में छिडकाव करना चाहिए | मूंगफली दलहनी फसल होने के कारण इसके उत्तम विकास के लिए फास्फोरस अति आवश्यक होता है | इसके लिए हमे 60 kg प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अपने खेतो में डालना चाहिए |
मूंगफली की खेती में सिचाई :-
मूंगफली की खेती भारत के कई क्षेत्र में वर्षा के आरंभ में किया जाता है, इसके कारण इसमे सिचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती | परन्तु उन स्थानों में जहा इसकी खेती गर्मी में की जाती है वहा सिचाई की आवश्यकता 10 से 15 दिन में पड़ती है | मूंगफली के खेती में ध्यान रहे की मिट्टी में नमी बनी रहे, खेत में पानी जमने पर हमे पानी की निकाशी करना अति आवश्यक है | अन्यथा फसल पानी में सड जाएँगे |
निराई गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण :-
मूंगफली के खेतो में समय समय पर निराई गुड़ाई एवं खरपतवार पर नियंत्रण करते रहना चाहिए | मूंगफली के खेतो में 15 दिन के अंतराल में 2 से 3 निराई गुड़ाई आवश्यक है | जब पौधो में फलियों का लगना आरंभ हो जाए तो निराई गुड़ाई की क्रिया को बंद कर देना चाहिए |
फसल कटाई एवं गहाई :-
सामान्य तौर पर जब पौधो के पत्तियों का रंग पिला पड़ने लगे या पत्तिया झड़ने लगे तब समझ लेना चाहिए की मूंगफली पूरी तरह पक गई है | अब इसकी कटाई कर फलियों को पौधो से अलग कर लेनी चाहिए | अब इस अलग किये हुए फलियों को धोप में तब तक सुखाना चाहिए जब तक इसमे मानी की मात्रा 10% ना रह जाए | जब फली सुख जाए तब इसका भण्डारण करना चाहिए |
दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई मूंगफली की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे कमायें, हमे आशा है आपको मूंगफली की खेती की जानकारी समझ में आ गई होगी | फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव है, तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हमसे पूछ  सकते है,  दोस्तों इस ब्लॉग पर आए भी खेती बड़ी से सम्बंधित जानकारी दी जाएगी, जानकारी अच्छी लगे तो इस अपने दोस्तों के शत सोशल साईट पर शेयर जरुर करें, और हमारी इस वेबसाइट को सब्सक्राइब करें, धन्यवाद |


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