अमरूद
में विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस
अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनाई जाती है। इसे
डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
फसल के लिए जलवायु –
वैसे
तो “अमरूद की खेती” को किसी भी तरह के जलवायु में किया
जा सकता है। लेकिन फिर भी अमरूद की खेती के लिए Hot और dry
climate सबसे सही रहता है। गर्म area में temperature और humidity कि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने पर फल सालो भर लगते है। जिस area
में 124 cm से ज्यादा बारिस होती है उस area
में अमरुद की खेती करना सही नहीं माना जाता है । अधिक पाले से अमरुद
के छोटे छोटे पौधे को नुकसान पहुँचता है ।
भूमि का चयन –
अमरूद
को लगभग प्रत्येक प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। परंतु अच्छे उत्पादन में
उपजाऊ बलुई दोमट भूमि अच्छी रहती है। बलुई भूमि मिटटी 4.5 में पीएच मान तथा
चूनायुक्त भूमि में 8.2 पीएच मान पर भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। अधिक
तापमान 6 से 6.5 पीएच मान पर प्राप्त होता
है। कभी कभी क्षारीय भूमि में उकठा रोग के लक्षण नजर आते है। इलाहाबादी सफेदा में
0.35 % खारापन सहन करने कि क्षमता रहती है ।
खेत की तैयारी –
इसके
पौधे की रोपाई हेतु पहले 60 सेमी० चौड़ाई, 60 सेमी० लम्बाई, 60 सेमी० गहराई के गड्ढे तैयार करके 20-25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद 250
ग्राम सुपर फास्फेट तथा 40-50 ग्राम फालीडाल धुल ऊपरी मिटटी में मिलाकर गड्ढो को
भर कर सिचाई कर देते है इसके पश्चात पौधे की पिंडी के अनुसार गड्ढ़े को खोदकर उसके
बीचो बीच लगाकर चारो तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिचाई कर देते है।
अमरुद की किस्मे –
अमरूद
की प्रमुख किस्में जो बागवानी के लिए उपयुक्त पायी गयी वे इस प्रकार हैं।
इलाहाबादी सफेदा, सरदार 49 लखनऊ, सेबनुमा अमरूद, इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट आदि हैं। इसके अतिरिक्त चित्तीदार, रेड
फ्लेस्ड, ढोलका, नासिक धारदार, आदि किस्में हैं। इलाहाबादी सफेदा बागवानी हेतु उत्तम है। सरदार-49 लखनऊ
व्यावसायिक दृष्टि से उत्तम प्रमाणित हो रही है। इलाहाबादी सुरखा अमरूद की नयी
किस्म है। यह जाति प्राकृतिक म्युटेंट के रूप में विकसित हुई है।
अमरूद की रोपाई के लियें गड्ढो की
तयारी –
इसके
पौधे की रोपाई हेतु पहले 60 सेमी० चौड़ाई, 60 सेमी० लम्बाई, 60 सेमी० गहराई के गड्ढे तैयार करके 20 - 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद 250
ग्राम सुपर फास्फेट तथा 40 - 50 ग्राम फालीडाल धुल ऊपरी मिटटी में मिलाकर गड्ढो को
भर कर सिचाई कर देते है इसके पश्चात पौधे की पिंडी के अनुसार गड्ढ़े को खोदकर उसके
बीचो बीच लगाकर चारो तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिचाई कर देते हैI
अमरूद की पौध रोपण –
पौध
रोपण के लिए जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर माह को
उपयुक्त मानते है जहा पर सिचाई की समस्या नहीं होती है वहाँ पर फरवरी मार्च में भी
रोपण किया जा सकता है अमरूद के पौधो का लाईन से लाईन 5 मीटर तथा पौधे से पौधे 5
मीटर अथवा लाईन से लाईन 6 मीटर और पौधे से पौधे 6 मीटर की दूरी पर रोपण किया जा
सकता हैI
खरपतवार प्रबंधन –
अमरुद
के उत्पादन में प्रारम्भ में सघाई क्रिया पेड़ो की वृद्धि सुन्दर और मजबूत ढाचा
बनाने के लिए की जाती है शुरू में मुख्य तना में जमीन से 90 सेमी० की उचाई तक कोई
शाखा नहीं निकलने देना चाहिए इसके पश्चात तीन या चार शाखाये बढ़ने दी जाती है इसके
पश्चात प्रति दूसरे या तीसरे साल ऊपर से टहनियों को काटते रहना चाहिए जिससे की
पेड़ो की उचाई अधिक न हो सके यदि जड़ से कोइ फुटाव या किल्ला निकले तो उसे भी काट
देना चाहिए।
खाद और उर्वरक –
पौधा
लगाने से पहले गड्ढा तैयार करते समय प्रति गड्ढा 20 से 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद
डालकर तैयार गड्ढे में पौध लगते है इसके पश्चात प्रति वर्ष 5 वर्ष तक इस प्रकार की
खाद दी जाती है जैसे की एक वर्ष की आयु के पौधे पर 15 किलोग्राम गोबर की खाद, 260 ग्राम यूरिया, 375 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 500
ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी प्रकार दो वर्ष के पौधे के लिए 30 किलोग्राम गोबर की
खाद, 500 ग्राम यूरिया, 750 ग्राम सुपर
फास्फेट एवं 200 ग्राम पोटेशियम सल्फेटI तीन साल के पौधे के
लिए 45 किलोग्राम गोबर की खाद, 780 ग्राम यूरिया, 1125 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 300 ग्राम पोटेशियम सल्फेटI और चार साल के पौधे के लिए 60 किलोग्राम गोबर की खाद, 1050 ग्राम यूरिया, 1500 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 400
ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी तरह से पांच साल के पौधे के लिए 75 किलोग्राम गोबर की
खाद, 1300 ग्राम यूरिया, 1875 ग्राम
सुपर फास्फेट एवं 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेट की आवश्यकता पड़ती हैI संस्तुति खाद की मात्रा पेड़ की आयु के अनुसार दो भागों में बांटकर एक भाग
प्रति पेड़ जून में दूसरा भाग अक्टूबर में तने से एक मीटर की दूरी पर चारो ऒर
वृक्षों के छत्र के नीचे किनारों तक डालना चाहिए इसके पश्चात तुरंत सिचाई कर देनी
चाहिएI
जल प्रबंधन –
अमरुद
उत्पादन में सिंचाई पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। छोटे पौधे की सिचाई शरद ऋतू में
15 दिन के अन्तराल पर तथा गर्मियों में 7 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए लेकिन बड़े
होने पर आवश्यकतानुसार सिचाई करनी चाहिए।
अमरूद के पौधे की कटाई छाटाई –
अमरुद
के उत्पादन में प्रारम्भ में सघाई क्रिया पेड़ो की वृद्धि सुन्दर और मजबूत ढाचा
बनाने के लिए की जाती है शुरू में मुख्य तना में जमीन से 90 सेमी० की उचाई तक कोई
शाखा नहीं निकलने देना चाहिए इसके पश्चात तीन या चार शाखाये बढ़ने दी जाती है इसके
पश्चात प्रति दूसरे या तीसरे साल ऊपर से टहनियों को काटते रहना चाहिए जिससे की
पेड़ो की उचाई अधिक न हो सके यदि जड़ से कोइ फुटाव या किल्ला निकले तो उसे भी काट
देना चाहिएI
कीट नियंत्रण –
अमरूद
की फसल मख्खियां तथा छाल खाने वाली सुडी लगाती है मख्खियां नियंत्रण हेतु ग्रसित
फल प्रति दिन इकठा करके नष्ट कर देना चाहिए सम्भव हो तो बरसात की फसल न ले तथा 500
मिली लीटर मेलाथियान 50 ई. सी. के साथ 5 किलो ग्राम गुड या चीनी को 500 लीटर पानी
में मिलाकर प्रति एकड़ छिडकाव करे यह 7 से 10 दिन के अन्तराल पर पर दुबारा करें
सुडी के लिए सितम्बर अक्टूबर में 10 मिली लीटर मोनोक्रोटोफास या 10 मिली लीटर
मेटासिड (मिथाइल पैराथियान ) को 10 लीटर पानी में मिलाकर तना की छाल के सूराखो के
चारो ओर छाल पर लगाना चाहिए जिससे की कीट प्रभाव न करे।
रोग नियंत्रण –
अमरूद
में उकठा रोग तथा श्याम वर्ण ,फल गलन या टहनी मार लगते है
नियंत्रण के लिए उकठा रोग हेतु खेत साफ सुथरा रखना चाहिए अधिक पानी न लगे ,कर्वानिक खादों का प्रयोग तथा ऐसे पेड़ो को उखाड़ कर अलग कर देना चाहिए
अन्य रोगो हेतु रोग ग्रस्त डालियों को काटकर 0.3% का कापर आक्सीक्लोराईड के घोल का
छिडकाव दो या तीन 15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए।
फलों की तुड़ाई –
अमरूद
के फलो की तुडाई कैची की सहायता से थोड़ी सी डंठल एवं एक दो पते सहित काटकर करनी
चाहिए खाने में आधिकतर अधपके फल पसंद किये जाते है तुडाई दो दिन के अन्तराल पर
करनी चाहिए।
फलों की उपज –
पौधे
लगाने के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाते है पेड़ो की देख-रेख अच्छी तरह से
की जाय तो पेड़ 30 से 40 वर्ष तक उतपादन की अवस्था में बने रहते है उपज की मात्रा
किस्म विशेष जलवायु एवं पेड़ की आयु अनुसार प्राप्त होती है फिर भी 5 वर्ष की आयु
के एक पेड़ से लगभग 400 से 600 तक अच्छे फल प्राप्त होते है।
दोस्तों, तो ये थी हमारे किशन भाई अमरूद की खेती कैसे करें और अधिक मुनाफा कैसे
कमायें, हमे आशा है आपको अमरूद की खेती की जानकारी समझ में आ
गई होगी | फिर भी आपका कोई भी सवाल है या सुझाव है, तो हमें कमेंट बॉक्स में बता
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